बाल एवं युवा साहित्य >> श्रद्धा सुमन बराए-कर्बला श्रद्धा सुमन बराए-कर्बलाअंसार कम्बरी
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प्रस्तुत संकलन में नौहा, सलाम, नात, कत्आ, दोहा और नज्म के माध्यम से मौला को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं
सलाम
खुल्द में हम बतायें क्या होगा
हर तरफ ज़िक्रे-कर्बला होगा
हर जगह होंगे बस अज़ाख़ाने
मज़लिसे-ग़म का सिलसिला होगा
सबकी आँखों में अश्के गम होंगे
और रूमाले - सैयदा होगा
उसको दोज़ख जला न पायेगी
जो यहाँ आग पर चला होगा
हश्र में रास्ता न भटकोगे
कर्बला का अगर पता होगा
बिदअती क्या कहेंगे महशर में
जब मोहम्मद का सामना होगा
किसकी दोज़ख़ है, किसकी जन्नत है
हश्र में इसका फैसला होगा
हश्र के दिन जनाबे - जहरा की
हर शिया मर्कज़े दुआ होगा
हाथ सीने पे लब पे नामे-हुसैन
'कम्बरी' का ये मश्ग़ला होगा
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